आभार आभार,सत्य के जिज्ञासुओं ने यह पुस्तक संभव बनाई है। जिज्ञासुओं के प्रश्नों के साथ उत्तरों को एक पुस्तक का रूप देकर पाठकों के सामने प्रस्तुत किया जा रहा है। यह पुस्तक आध्यात्मिक साधकों के लिए अमृत्तुल्य साबित होगी। इसी श्रद्धा के साथ ..... लेखक इस पुस्तक में दिए उत्तरों से एक आम इंसान की समस्याएं तथा आध्यात्मिक साधकों की जिज्ञासाओं का समाधान हो। इन प्रश्नों के उत्तरों में लेखक की आत्मा है जिससे पाठकों की आत्मा प्रकाशित हो। इसी दृष्टि के साथ.... राजेश सोनी 10 दिसंबर, 2020, इंदौर 1. आत्मा क्या है ? 2. कोई बुरी लत को कैसे छोड़े ? 3. क्या हमें बच्चों को आध्यात्मिकता से जोड़ना चाहिए ? 4. जीवन का उद्देश्य क्या है ? 5. मेरे पास सब है फिर भी दुख क्यों है ? 6. क्या किसी ने ईश्वर को देखा है ? 7. भगवान को प्राप्त करने का सीधा-सरल उपाय क्या है ? 8. जिंदगी क्या है ? 9. क्या वाकई में ईश्वर है, क्योंकि अनेक धर्मों में पीछे की व्याख्या अलग-अलग रूप से की गई है ? 10. मोक्ष क्या जरूरी है ? गृहस्थ होते हुए भी मोक्ष कैसे प्राप्त किया जा सकता है ? 11. मनुष्य कभी प्रसन्न और कभी अप्रसन्न क्यों होता रहत
Playing is the easiest work to do.It should not be called work. It occurs itself in it. Children play, elders should also play. Sport makes you healthy. In sports, both your mind and body move being one. You become simple. You get refreshed. You achieve health, receive awareness. Those who are expert in playing well become meditators at that time. They know how to play mindfully? They become so conscious in the game that their mind stops thinking. They live moment to moment, be in the present, achieve oneness. I am talking about the oneness which the yogi attains through yoga. The player is not alone in this oneness. The whole game starts happening in him. He becomes the watcher of the whole game. Now he knows when to do, what to do, and how to do? You see a top most player in the game. How alert does he! How attractive and aggressive he is! It all comes from his oneness, consciousness. Watch, how does a cat hunt. How focused is she to her prey? In her concentration she